मेरे हर अफशाने में तु, तुझे एक पैगाम लिखता हूँ |
जो तु
कहे सुबह
को शाम, तो मैं
शाम कहता
हूँ |
तुझे क्या
मालूम तुझसे कितनी
मोहब्बत,
ऐ मेरी
जान करता
हूँ |
अगर तु
मांगे इम्तिहाने मोहब्बत
मेरी जान
तो,
ले तुझे
अर्पित जान
संग ईमान
करता हूँ |
तु जो
भी कहे
मैं उन
सबपर एहतराम
करता हूँ |
हो जाये
नुख्श अगर
मोहब्बत में,
तो हो
गुश्ताखी माफ़
ऐसी माँग
करता हूँ |
कह दे
अगर काफ़िर
मुझे दुनिया
तेरी मोहब्बत
में,
ये सजा
स्वीकार करता
हूँ |
जाने कब
हो गयी
इतनी मोहब्बत
तुझसे ,
यही सोचकर
मैं भी
हैरान रहता
हूँ |
मैं आशिक
हूँ ,लोग समझे
मुझे पागल
पर तेरे
ख्यालों में
खुश मैं
यार रहता
हूँ |
हँसना उनका
काम , उन्हें
क्या पता
कि,
मैं कीस
हसीना से
प्यार करता
हूँ |
चाहे ना
हो ज़माने
में मेरी
कोई इज्जत ,
पर मैं
दिल से
तेरी इज्जत
यार करता
हूँ |
जो भी
करे मुझे
तुमसे दूर ,
ले आज
मै खुद
को उनसे
दूर यार
करता हूँ |
अब चाहे
जो भी
हो अंजामें
मोहब्बत,
ले आज
बिना डरे
तुझसे इक़रार
करता हूँ |
- राजीव रंजन
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